Countries Adopting BRICS Payment System : : क्या डॉलर की बादशाही अब खत्म होगी?

हाल ही में ब्राजील में BRICS देशों की मीटिंग हुई, जिसमें फिर से BRICS Payment System की चर्चा जोरों पर रही।रिपोर्ट्स के मुताबिक, रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने BRICS देशों के साथ मिलकर ऐसा बड़ा कदम उठाया है, जिससे पश्चिमी देशों में खलबली मच गई है।अब BRICS देश आपस में डॉलर के बिना, अपनी-अपनी करेंसी में व्यापार करने की तैयारी कर रहे हैं।अमेरिका को इससे इतनी टेंशन हो गई कि उसने BRICS देशों को धमकी दी कि अगर उन्होंने डॉलर के खिलाफ कुछ भी किया, तो उनके प्रोडक्ट्स पर 10% एक्स्ट्रा टैक्स लगा देंगे।

What is BRICS Countries Payment System :-

Brazil, Russia, India, China और South Africa
यह संगठन 2009 में इसलिए बना था ताकि IMF और World Bank जैसे पश्चिमी देशों के कंट्रोल वाली संस्थाओं में उभरते देशों को ताकत
मिले।इन देशों ने मिलकर एक नया पेमेंट सिस्टम बनाने की योजना बनाई है, जिसका मुख्य उद्देश्य अमेरिकी डॉलर पर निर्भरता को कम करना है। यह सिस्टम BRICS देशों को आपस में अपनी लोकल करेंसी में व्यापार और लेन-देन करने की सुविधा देगा, जिससे लेन-देन सस्ता और आसान हो जाएगा। यह डिजिटल पेमेंट और नई टेक्नोलॉजी पर आधारित होगा, जिससे छोटे देशों को भी लाभ मिलेगा और वैश्विक स्तर पर एक नया विकल्प सामने आएगा। BRICS का यह कदम भविष्य में ग्लोबल फाइनेंशियल सिस्टम में बड़ा बदलाव ला सकता है।

 

BRICS Payment System क्यों ज़रूरी है?

BRICS Payment System इसलिए ज़रूरी है क्योंकि यह डॉलर पर निर्भरता को कम करता है और BRICS देशों को आर्थिक रूप से ज्यादा स्वतंत्र बनाता है। अभी पूरी दुनिया में ज़्यादातर ट्रेड अमेरिकी डॉलर में होता है।भारत जैसे देश जब भी विदेश से कुछ खरीदते हैं, तो भुगतान डॉलर में करना पड़ता है।अमेरिका का SWIFT Payment System पूरी दुनिया में चलता है, और इसी से सारा अंतरराष्ट्रीय लेनदेन होता है। अमेरिका जिस देश पर चाहे, SWIFT सिस्टम रोककर आर्थिक बैन लगा सकता है।डॉलर के कारण हर पेमेंट पर एक्स्ट्रा चार्ज और अमेरिकी कंट्रोल झेलना पड़ता है।अमेरिका ने रूस पर इतने बैन लगाए हैं कि रूस SWIFT System का इस्तेमाल तक नहीं कर पा रहा है।

यह सिस्टम अमेरिका जैसे पश्चिमी देशों द्वारा लगाए जाने वाले आर्थिक प्रतिबंधों से बचने का एक विकल्प भी है। BRICS देशों के बीच व्यापार को बढ़ावा देने के साथ-साथ यह वैश्विक वित्तीय प्रणाली में संतुलन बनाने में मदद करता है। इस सिस्टम के ज़रिए छोटे और विकासशील देशों को सुरक्षित और पारदर्शी भुगतान व्यवस्था मिलती है। आगे चलकर यह प्रणाली एक साझा डिजिटल मुद्रा यानी BRICS कॉइन के ज़रिए अंतरराष्ट्रीय लेन-देन का नया विकल्प बन सकती है।

ब्रिक्स पे क्या है :  BRICS Blockchain Payment System क्या है?

अब BRICS देश मिलकर Blockchain Technology पर नया Payment System बना रहे हैं।
इसमें डॉलर की जगह BRICS देशों की लोकल करेंसी चलेगी।

ब्रिक्स पे (BRICS Pay) एक डिजिटल पेमेंट सिस्टम है जिसे BRICS देशों – ब्राज़ील, रूस, इंडिया, चीन और साउथ अफ्रीका – ने मिलकर विकसित किया है। इसका उद्देश्य एक ऐसा ब्लॉकचेन आधारित प्लेटफ़ॉर्म बनाना है जिससे सदस्य देश आपस में अपनी स्थानीय मुद्रा में तेज़, सुरक्षित और पारदर्शी लेन-देन कर सकें। यह सिस्टम डॉलरसिस्टम पर निर्भरता कम करता है और वैश्विक आर्थिक संतुलन की दिशा में एक बड़ा कदम है। BRICS Pay ब्लॉकचेन तकनीक का इस्तेमाल करता है जिससे डेटा सुरक्षित रहता है और फर्जीवाड़े की संभावना बेहद कम हो जाती है। इससे व्यापारिक सौदे आसान और कम खर्चीले हो जाते हैं। यह प्रणाली छोटे व्यापारियों और आम नागरिकों को भी सशक्त बनाती है। BRICS Pay एक ऐसी पहल है जो भविष्य में डिजिटल मुद्रा और वैश्विक भुगतान में क्रांति ला सकती है। यह BRICS देशों को एक साझा आर्थिक पहचान देने की दिशा में काम कर रहा है।

कैसे करेगा काम:
• भारत रूस से तेल खरीदेगा तो भारत रुपए में पेमेंट करेगा।
• रूस चाहेगा कि उसे रूबल में पेमेंट मिले।
• BRICS Blockchain System में दोनों देश जुड़ेंगे।
• सिस्टम अपने आप रुपए को रूबल में बदल देगा।
• पूरा ट्रांजैक्शन Blockchain पर सुरक्षित तरीके से रिकॉर्ड होगा।

क्या BRICS सचमुच DOLLAR को गिरा सकता है ?

आज दुनिया का:
• 54% व्यापार डॉलर में होता है
• 88% Forex Transactions डॉलर में
• दुनिया के 60% विदेशी मुद्रा भंडार में डॉलर शामिल

अगर BRICS Payment System सफल हो गया, तो डॉलर की बादशाही खतरे में पड़ जाएगी।
इसीलिए अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रम्प ने BRICS देशों को धमकी दी है कि उनके प्रोडक्ट्स पर 10% टैक्स बढ़ा देंगे।

BRICS देशों की कोशिश है कि वे आपसी व्यापार में डॉलर की जगह अपनी स्थानीय मुद्राओं या किसी साझा मुद्रा का इस्तेमाल करें, जिससे डॉलर की वैश्विक पकड़ कमजोर हो सके। हालांकि BRICS का ये कदम डॉलर के प्रभुत्व को चुनौती जरूर देता है, लेकिन उसे पूरी तरह गिरा पाना आसान नहीं है। डॉलर अभी भी दुनिया की सबसे बड़ी और स्थिर अर्थव्यवस्था यानी अमेरिका से जुड़ा है, और अधिकांश अंतरराष्ट्रीय व्यापार, निवेश और रिज़र्व में उसका इस्तेमाल होता है। BRICS के पास जनसंख्या और संसाधनों की ताकत है, लेकिन राजनीतिक, आर्थिक और तकनीकी चुनौतियाँ भी हैं। अगर ये देश मिलकर एक मजबूत वैकल्पिक प्रणाली खड़ी कर लें, तो डॉलर पर निर्भरता धीरे-धीरे कम हो सकती है। BRICS की यह कोशिश एक लंबी प्रक्रिया है, लेकिन यह दुनिया में एक नया आर्थिक संतुलन ज़रूर बना सकती है। इसलिए कहना तो जल्दबाज़ी होगी कि BRICS डॉलर को पूरी तरह गिरा देगा, मगर उसका वर्चस्व ज़रूर कम कर सकता है।

17वाँ ब्रिक्स शिखर सम्मेलन 

 

 

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