गणेशजी विघ्नहर्ता हैं। हर बुधवार को गणेश जी की कथा जरूर करें।
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(गणेश जी की खीर वाली कहानी)एक बार गणेश जी बालक के रूप में पृथ्वी पर भ्रमण करने निकले।उन्होंने अपने एक हाथ में एक चम्मच दूध और दूसरी हाथ में एक चुटकी चावल ले ली और पृथ्वी पर भ्रमण करते हुए सबको यह बोले जा रहे थे कोई मेरे दूध और चावल से खीर बनाकर दे दे।
लेकिन हर कोई उन्हें अनसुनी कर रहा था ,और कोई कोई तो उनका मजाक भी बना रहा था। लगातार गांव-गांव घूमते हुए शाम हो गई लेकिन अभी तक किसी ने भी उनकी खीर बनाने की बात को नहीं स्वीकारी।
तभी एक बुढ़िया शाम के वक्त अपनी झोपडी के बाहर निकल कर बैठी थी। सरल ह्रदय होने के कारण बालक गणेश को देखकर उस बुढ़िया का दिल पसीज गया और उसने खीर बनाने की बात स्वीकार कर ली।
गणेश जी के हाथ में दूध और चावल की मात्रा देखकर बुढ़िया एक छोटी सी पतीली लाई लेकिन गणेश जी ने कहा कि जो घर की सबसे बड़ी पतीली है वही ले आओ। गणेश जी की बात मानते हुए बुढ़िया ने ऐसा ही किया।
जब गणेश जी ने अपने चम्मच का दूध उस पतीली में उड़ेला तो बुढ़िया को यह देखकर आश्चर्य का ठिकाना ना रहा कि इतनी बड़ी पतीली दूध से लबालब भर गई थी।
फिर उसमें चावल भी गणेश जी ने डाल दिया। जब बुढ़िया ने उनसे पूछा कि मैं इतनी सारी खीर का क्या करूंगी ? तो गणेश जी ने उनसे कहा कि सारे गांव वाले को खिलाना।
यह कह कर चले गए कि, तुम जब तक खीर बनाओ मैं स्नान करके आता हूं। बुढ़िया गांव में सारे जगह जा जाकर सबको खीर खाने के लिए बोलने लगी। गांव के सारे लोग बुढ़िया के यहां खीर खाने के लिए ईकट्ठा हो गए।
तब तक गणेश जी भी आ गए थे। उन्हें देख बुढ़िया ने कहा बेटा खीर बन गया है ,अब भोग लगा लो।गणेश जी ने कहा भोग वह लग चुका है,मेरा मन बिल्कुल तृप्त हो चुका है। बुढ़िया ने अपने पोता पोती बेटे बहू और पड़ोसन को भी कटोरा भर भर कर खीर परोस दी।
अपने परिवार मोहल्ले वालों और सारे गांव वालों को खिलाने के बाद भी बहुत सारी खीर बच गई थी। बुढ़िया नहीं गणेश जी से पूछा कि अब इतनी सारी खीर का मैं क्या करूंगी ?
गणेश जी ने कहा खीर के सारे पात्रों को घर के चारों कोनों में रख दो। बुढ़िया ने ऐसा ही किया। सुबह उठकर उसने देखा पतीलों में खीर के स्थान पर हीरे ,मोती जवाहरात भरे हुए थे। वह बहुत खुश हुई। उसकी सारी दरिद्रता दूर हो गई।
(गणेश जी की खीर वाली कहानी)उसने गणपति जी का एक बहुत ही भव्य मंदिर बनवाया और एक तालाब भी खुदवाया जहां पर वार्षिक मेले लगने लगे। लोग गणेश जी की कृपा प्राप्त करने के लिए वहां पर पूजा के लिए आने लगे। इस तरह से जिस प्रकार गणेश भगवान ने बुढ़िया पर कृपा की वैसे हम सब पर भी कृपा उनकी बनी रहे।
जय श्री गणेश।
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शिव जी ने गणेश जी के कटे हुए सर को एक गुफा में रख दिया। यह गुफा उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में स्थित है। इसे पाताल भुवनेश्वर के नाम से जाना जाता है।
गणेश जी को रिद्धि से क्षेम और सिद्धि से लाभ नाम के दो पुत्र हैं।
मस्तिष्क काटने के पूर्व गणेश जी का नाम विनायक था। हठी का मस्तक लगाने के बाद उन्हें गजानन कहने लगे।
जब उन्हें गणों का प्रमुख बनाया गया तब वे गणपति और गणेश कहलाये।
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