NCERT New Curriculum : अब पढ़ाई बनेगी बच्चों के लिए सीखने का उत्सव
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Toggleशिक्षा की नई दिशा
भारत में स्कूली शिक्षा एक नया मोड़ लेने जा रही है। NCERT New Curriculum में पहली कक्षा से लेकर 12वीं तक के विद्यार्थियों के लिए अपने पाठ्यक्रम में नए टीचिंग मॉड्यूल्स शामिल किए हैं। ये मॉड्यूल्स केवल किताबों तक सीमित नहीं रहेंगे, बल्कि बच्चों के सोचने के ढंग, व्यवहारिक ज्ञान, मानसिक स्वास्थ्य, और राष्ट्र के प्रति जागरूकता को भी बढ़ावा देंगे।
यह बदलाव सिर्फ एक सिलेबस अपडेट नहीं, बल्कि बच्चों को 21वीं सदी के लिए तैयार करने का एक बड़ा कदम है। अगर आपके घर में स्कूली बच्चे हैं, तो यह खबर आपके लिए बेहद ज़रूरी है।
🖥️ 1. डिजिटल इंडिया: तकनीक की समझ अब स्कूल से
बदलते दौर में डिजिटल स्किल्स का महत्व बहुत बढ़ गया है। इसी को ध्यान में रखते हुए, नया सिलेबस बच्चों को डिजिटल दुनिया से परिचित कराएगा।
बच्चों को UPI, डिजिटल पेमेंट्स, ऐप्स और QR कोड के इस्तेमाल की जानकारी दी जाएगी।
Digilocker, आधार कार्ड, आयुष्मान भारत योजना जैसे डिजिटल प्लेटफॉर्म्स का उपयोग सिखाया जाएगा।
कहानियों और एक्टिविटी के ज़रिए टेक्नोलॉजी को बच्चों की भाषा में समझाया जाएगा।
अब बच्चे न सिर्फ तकनीकी रूप से स्मार्ट बनेंगे, बल्कि डिजिटल नागरिक भी बनेंगे।
🧠 2. मानसिक स्वास्थ्य: पढ़ाई में खुशी, तनाव नहीं
आज की तेज़ रफ्तार ज़िंदगी में बच्चे भी तनाव और दबाव से जूझ रहे हैं, खासकर परीक्षा के समय। इसको गंभीरता से लेते हुए नए सिलेबस में मानसिक स्वास्थ्य पर विशेष मॉड्यूल जोड़ा गया है।
बच्चों को बताया जाएगा कि तनाव से कैसे निपटना है, कैसे भावनाओं को समझना और नियंत्रित करना है।
राष्ट्रीय हेल्पलाइन टेलीमानस (TeleMANAS) की जानकारी दी जाएगी ताकि ज़रूरत पड़ने पर बच्चे मदद ले सकें।
पढ़ाई को एक उत्सव, एक मजेदार अनुभव बनाने की सोच विकसित की जाएगी।
यह पहल बच्चों को मानसिक रूप से सशक्त बनाएगी और उन्हें संतुलित जीवन जीने के गुर सिखाएगी।
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🗳️ 3. लोकतंत्र और चुनाव: NCERT New Curriculum में बच्चों को शुरू से ही एक जिम्मेदार नागरिक बआने की शिक्षा दी जाएगी ।
भारत एक विशाल लोकतंत्र है और उसके संचालन की प्रक्रिया को समझना हर नागरिक का अधिकार है। इस मॉड्यूल में बच्चे सीखेंगे:
लोकतंत्र क्या होता है और क्यों ज़रूरी है?
भारत में चुनाव प्रक्रिया कैसे काम करती है?
मतदाता बनने की ज़िम्मेदारी और अधिकार?
बच्चों में शुरुआत से ही लोकतांत्रिक मूल्यों की समझ और देश के प्रति उत्तरदायित्व की भावना जागेगी।
🦠 4. कोविड जागरूकता: तैयार रहना ही सुरक्षा है
कोविड-19 जैसी आपदा ने दुनिया को झकझोर कर रख दिया। अब स्कूल स्तर पर ही बच्चों को ऐसी आपातकालीन स्थितियों से निपटने के बारे में जानकारी दी जाएगी।
मास्क, सैनिटाइज़र, सामाजिक दूरी जैसे सावधानियों की शिक्षा
आपदा प्रबंधन से जुड़े अभ्यास और योजनाएँ।
भविष्य में किसी भी महामारी की स्थिति में कैसे सुरक्षित रहना है, यह सिखाया जाएगा।
इससे बच्चों में सुरक्षा और सावधानी के प्रति सचेत दृष्टिकोण विकसित होगा।
शुभांशु शुक्ला और एक्सियम mission – 4
🚮 5. स्वच्छ भारत: मजेदार अंदाज़ में सफाई का पाठ
इस मॉड्यूल को बच्चों के लिए बेहद आकर्षक बनाया गया है। एक नया कार्टून कैरेक्टर “स्वच्छता जादूगर” बच्चों को सफाई का महत्व बताएगा।
कूड़ेदान के रंग और उनके सही उपयोग की जानकारी
अपने घर, स्कूल, मोहल्ले और शहर को साफ रखने की प्रेरणा
स्वच्छता को दिनचर्या का हिस्सा बनाने की सीख
बच्चों को सीखने को मिलेगा कि स्वच्छता केवल सरकार की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि हर नागरिक का कर्तव्य है।
🏆 6. खेल शिक्षा: खेलों से मिलेगा आत्मविश्वास और प्रेरणा
अब स्कूलों में सिर्फ पढ़ाई नहीं, खेल भी उतना ही महत्वपूर्ण माना जाएगा। इस मॉड्यूल में बच्चों को भारत के महान खिलाड़ियों की कहानियाँ पढ़ाई जाएंगी:
नीरज चोपड़ा, मनु भाकर, और अन्य खिलाड़ियों की प्रेरणादायक यात्राएँ
खेलो इंडिया जैसे राष्ट्रीय कार्यक्रमों से जोड़ने की कोशिश
टीमवर्क, अनुशासन, फिटनेस और हार-जीत को स्वीकार करना सिखाया जाएगा
इससे बच्चों को समझ आएगा कि खेल भी करियर और व्यक्तित्व विकास का ज़रिया हो सकता है।
🚮 5. स्वच्छ भारत: मजेदार अंदाज़ में सफाई का पाठ
इस मॉड्यूल को बच्चों के लिए बेहद आकर्षक बनाया गया है। एक नया कार्टून कैरेक्टर “स्वच्छता जादूगर” बच्चों को सफाई का महत्व बताएगा।
कूड़ेदान के रंग और उनके सही उपयोग की जानकारी
अपने घर, स्कूल, मोहल्ले और शहर को साफ रखने की प्रेरणा
स्वच्छता को दिनचर्या का हिस्सा बनाने की सीख
बच्चों को सीखने को मिलेगा कि स्वच्छता केवल सरकार की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि हर नागरिक का कर्तव्य है।
🏆 6. खेल शिक्षा: खेलों से मिलेगा आत्मविश्वास और प्रेरणा
अब स्कूलों में सिर्फ पढ़ाई नहीं, खेल भी उतना ही महत्वपूर्ण माना जाएगा। इस मॉड्यूल में बच्चों को भारत के महान खिलाड़ियों की कहानियाँ पढ़ाई जाएंगी:
नीरज चोपड़ा, मनु भाकर, और अन्य खिलाड़ियों की प्रेरणादायक यात्राएँ
खेलो इंडिया जैसे राष्ट्रीय कार्यक्रमों से जोड़ने की कोशिश
टीमवर्क, अनुशासन, फिटनेस और हार-जीत को स्वीकार करना सिखाया जाएगा
इससे बच्चों को समझ आएगा कि खेल भी करियर और व्यक्तित्व विकास का ज़रिया हो सकता है।
🏛️ 7. भारत की विरासत और विकास: अपनी संस्कृति पर गर्व करना सीखें
NCERT New Curriculum देश की प्राचीन और गौरवशाली विरासत को बच्चों के पाठ्यक्रम में विशेष स्थान दिया गया है। उदाहरण के लिए:
एनसीईआरटी की कक्षा सात की नई किताबों से दिल्ली सल्तनत और मुगल के अध्याय को हटा दिया गया है. कक्षा सात की किताबों में भारतीय राजवंशों, महाकुंभ के संदर्भ और मेक इन इंडिया और बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ, महाकुंभ को शामिल किया गया है.
काशी विश्वनाथ कॉरिडोर, कोणार्क सूर्य मंदिर, जैसे स्थलों के बारे में जानकारी
भारत की सांस्कृतिक विविधता और इतिहास को कहानियों व चित्रों के माध्यम से सिखाना
बच्चों में राष्ट्रगौरव और सांस्कृतिक पहचान की भावना मजबूत करना
इस मॉड्यूल से बच्चे जानेंगे कि वे एक महान सांस्कृतिक विरासत के उत्तराधिकारी हैं।
🎉 नया संदेश: पढ़ाई अब बोझ नहीं, उत्सव है
NCERT New Curriculum का यह प्रयास यह स्पष्ट करता है कि अब शिक्षा केवल परीक्षा पास करने का माध्यम नहीं, बल्कि व्यक्तित्व निर्माण का साधन होगी। बच्चों को यह सिखाया जाएगा कि:
“पढ़ोगे लिखोगे तो बनोगे नवाब, खेलोगे कूदोगे तो भी बनोगे नवाब।”
अब पढ़ाई और खेल दोनों को बराबर महत्व मिलेगा। मानसिक, सामाजिक, तकनीकी और भावनात्मक दृष्टिकोण से बच्चों को संपूर्ण रूप से तैयार किया जाएगा।
भविष्य के लिए संपूर्ण तैयारी
NCERT New Curriculum द्वारा उठाया गया यह कदम भारत के शिक्षा क्षेत्र में ऐतिहासिक परिवर्तन की शुरुआत है। यह सिर्फ स्कूल का सिलेबस नहीं, बल्कि बच्चों को जीवन जीने की कला सिखाने की पहल है। आने वाले समय में ये मॉड्यूल बच्चों को न केवल अकादमिक रूप से बल्कि व्यावहारिक और नैतिक रूप से भी मजबूत बनाएंगे।
अब शिक्षा सिर्फ किताबों तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि हर बच्चा स्कूल से एक सजग, समझदार और सशक्त नागरिक बनकर निकलेगा।
“No Bag Day” In Schools Under National Education Policy 2020
“नो बैग डे” यानी “बिना बैग वाला दिन”, राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (NEP 2020) के तहत शुरू की गई एक नई पहल है। इसका मुख्य उद्देश्य बच्चों पर पढ़ाई का बोझ कम करना है। इस दिन बच्चों को स्कूल बैग लेकर नहीं आना होता। इसके बजाय, उन्हें स्कूल में विभिन्न रचनात्मक गतिविधियों में शामिल किया जाता है जैसे—कला, संगीत, खेल, ड्रामा, कहानी सुनना, प्रकृति से जुड़ी गतिविधियां और समूह चर्चा।इस पहल का मकसद बच्चों के भीतर छिपी रचनात्मकता को बाहर लाना है और पढ़ाई को बोझ नहीं बल्कि आनंददायक बनाना है। इसके अलावा, इससे बच्चों में टीमवर्क, संवाद कौशल और सामाजिक जिम्मेदारी जैसे गुण भी विकसित होते हैं।
“नो बैग डे” बच्चों के लिए पढ़ाई के पारंपरिक तरीके से अलग अनुभव देने का मौका है, ताकि वे केवल किताबों तक सीमित न रहें, बल्कि असली जीवन से जुड़ी चीज़ें भी सीख सकें।इस नीति के अनुसार, हर स्कूल में हफ्ते में कम से कम एक दिन “नो बैग डे” मनाया जा सकता है। यह दिन बच्चों को सीखने की आज़ादी और आनंद का अनुभव कराता है, जिससे उनका मानसिक विकास बेहतर होता है और वे तनावमुक्त रहते हैं।
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