What is Kalpakkam nuclear power plant? कलपक्कम परमाणु ऊर्जा सयंत्रं क्या है?
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Toggleकलपक्कम परमाणु ऊर्जा सयंत्रं भारत के तमिलनाडु में स्थित है। यह भारत के सबसे बड़े परमाणु ऊर्जा संयंत्रों (nuclear power plant) में से एक है। यह भारत के परमाणु ऊर्जा उत्पादन में महत्वपूर्ण योगदान प्रदान करता है, जिससे क्षेत्र को स्वच्छ, पर्यावरणीय ऊर्जा मिलती है। यह क्षेत्र के लिए बिजली पैदा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह फ़ैक्टरी अपनी अत्याधुनिक तकनीक और विशिष्ट डिज़ाइन तत्वों के कारण बहुत प्रभावशाली है। निःसंदेह यह भारत के ऊर्जा बुनियादी ढांचे का एक महत्वपर्णू घटक है।यह परमाणु ऊर्जा की शक्ति का उपयोग करके बिजली का उत्पादन करता है। Kalpakkam nuclear power plant एक विशाल बिजली घर के समान, क्षेत्र के ऊर्जा प्रदाता के रूप में कार्य करता है। यह सयंत्रं अपनी अत्याधुनिक विशेषताओं और प्रौद्योगिकी के कारण काफी उल्लेखनीय है। सयंत्रं में कई रिएक्टर हैं, जिनमें एक प्रोटोटाइप फास्ट ब्रीडर रिएक्टर भी शामिल है। यह निःसंदेह भारतीय ऊर्जा बाजार में एक महत्वपर्णू खिलाड़ी है। यह भारत की बिजली जरूरतों को पूरा करता है। यह सालाना 2 गीगावॉट बिजली पैदा करती है, जो इसे भारत में सबसे बड़ा परमाणु ऊर्जा परिसर बनाती है। दोनों इकाइयाँ जल-ठंडा, जल-संचालित बिजली रिएक्टर हैं।

कलपक्कम परमाणु ऊर्जा सयंत्रं (Kalpakkam nuclear power plant)किसने और किस वर्ष बनाया?
न्यक्लिूक्लियर पावर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड ने Kalpakkam nuclear power plant (एनपीसीआईएल) का निर्माण किया। राजस्थान में पहला परमाणु ऊर्जा सयंत्रं चालू होने के बाद, परमाणु ऊर्जा विभाग (डी ए ई) ने और अधिक सयंत्रं बनाने की योजना बनाई। कलपक्कम परमाणु ऊर्जा स्टेशन उनमें से एक था। इसे 1965 में कमीशन किया गया था। प्रारंभिक प्रयोगों और आगे के कार्यों के पूरा होनेके बाद 1967 में इस बिजली सयंत्रं के निर्माण को मंजूरी दी गई। सयंत्रं का निर्माण 1970 के दशक में शरू हुआ और इसे 1980 के दशक में सेवा में लाया गया। तब से, यह टिकाऊ और स्वच्छ ऊर्जा की आपूर्ति कर रहा है।
कलपक्कम परमाणु ऊर्जा संयंत्र (Kalpakkam nuclear power plant)किसके लिए प्रसिद्ध है?
कलपक्कम परमाणु ऊर्जा स्टेशन (Kalpakkam nuclear power plant) भारत का पहला वाणिज्यिक परमाणु ऊर्जा स्टेशन है।पहला स्वदेशी फास्ट ब्रीडर रिएक्टर यानी एफबीआर (FBR)में कोर लोडिंग (CORE LOADING)की शुरुआत की गई है। इसी के साथ भारत ने तीन चरणीय परमाणु कार्यक्रम के दूसरे चरण में प्रवेश किया है। यहाँ पर सबसे पहले हम ये समझ लेते है कि तीन चरणीय परमाणु कार्यक्रम की योजना क्या है- भारत में तीन चरणीय परमाणु कार्यक्रम की योजना स्वर्गीय होमी जहांगीर भाभा द्वारा डिजाइन की गई थी । ( जिन्हें भारत की परमाणु ऊर्जा विकास के जनक के रूप में जाना जाता है) मुख्यतः इस कार्यक्रम का लक्ष्य परमाणु ऊर्जा उत्पादन में आत्मनिर्भर बनना है।दरअसल भारत के पास देशी यूरेनियम संसाधन बहुत कम है, किन्तु थोरियम का विशाल भंडार है। भारत ने थोरियम का उपयोग करने के लिए तीन चरणीय परमाणु कार्यक्रम की योजना बनाई है।थोरियम अपने आप ऊर्जा का उत्पादन नहीं कर सकता है। हालांकि थोरियम को यूरेनियम 233 ( u 233 ) नामक एक अन्य विखंडन तत्व में परिवर्तित किया जा सकता है। जिसका उपयोग अक्सर परमाणु ईंधन के रूप में किया जाता है। इसे परिवर्तित करने के लिए भारत ने तीन चरणीय कार्यक्रम लागू किया है।
दूसरे चरण में कोर लोडिंग शुरुआत भारत का पहला इंडिजिनियस यानी स्वदेशी फास्ट ब्रीडर रिएक्टर (Indigenous Fast Breeder Reactor) है। फास्ट ब्रीडर रिएक्टर का मतलब है हम जितने ईंधन का प्रयोग करते हैं उससे ज्यादा ईंधन हमको ये बना के देता है। रूस के बाद भारत दूसरा देश होगा जो (एफ बीआर )फास्ट ब्रीडर रिएक्टर को कमर्शियली ऑपरेट करेगा। अब ऐसी बात नहीं कि और किसी देश के पास नहीं है । चाइना के पासफास्ट ब्रीडर का बहुत छोटा सा प्रोग्राम है । इसके अलावा जापान , फ्रांस और यूनाइटेड स्टेट में भी था लेकिन ये लोग सेफ्टी को ध्यान में रखते हुए इसे बंद कर दिए।
भारत के पहले फास्ट ब्रीडर रिएक्टर (500 मेगावाट) में ‘कोर लोडिंग’ क्या है?
(What is ‘core loading’?)
कोर लोडिंग’एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें रिएक्टर के कोर में जब पुराने नाभिकीय तत्व समाप्त हो जाते हैं, तो इसकी जगह नए नाभिकीय तत्वों (nuclear elements)को डाला जाता है। यह प्रक्रिया नियमित अंतराल पर होती रहती है ताकि रिएक्टर की कार्यक्षमता बनाए रखी जा सके। इस प्रक्रिया से न केवल ऊर्जा उत्पन्न होती है, बल्कि यह भी सुनिश्चित करता है कि रिएक्टर सुरक्षित रहे।
कोर लोडिंग के दौरान, नए नाभिकीय तत्वों को बड़ी सावधानी से कोर में डाला जाता है ताकि किसी भी प्रकार की बड़ी दुर्घटना का या सुरक्षा संबंधित समस्या का सामना न करना पड़े।
कलपक्कम परमाणु ऊर्जा संयंत्र (Kalpakkam nuclear power plant)किस देश की सहायता से बनाया गया है?
रूस ने भारत के कलपक्कम परमाणु ऊर्जा संयंत्र के निर्माण में सहायता प्रदान की। दोनों देशों ने बहुत लंबे समय से परमाणु ऊर्जा परियोजनाओं पर सहयोग किया है। रूस की तकनीकी सहायता और सहयोग से भारत में कलपक्कम परमाणु ऊर्जा संयंत्र का निर्माण किया गया। दबावयुक्त भारी जल रिएक्टर [पीएचडब्ल्यूआर (PHWR)] इस संयंत्र की एक विशेषता है, जो भारत की ऊर्जा आपूर्ति के लिए आवश्यक है। साथ में, उन्होंने भवन निर्माण और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण पर काम किया, जिससे भारत की परमाणु ऊर्जा क्षमताएं उन्नत हुईं।
स्वच्छ और टिकाऊ ऊर्जा समाधान को आगे बढ़ाने के लिए देशों को एक साथ काम करते हुए देखना बहुत अच्छा है।
सुरक्षा और चिंता
कलपक्कम परमाणु ऊर्जा संयंत्र अपने परिचालन के हर चरण में सुरक्षा को प्राथमिकता देता है। इसमें अन्य मजबूत सुरक्षा सावधानियों के अलावा आधुनिक रिएक्टर डिजाइन, कई सुरक्षा प्रणालियाँ और व्यापक आपातकालीन तैयारी योजनाएँ शामिल हैं। संयंत्र को परमाणु ऊर्जा नियामक बोर्ड (एईआरबी) द्वारा विनियमित किया जाता है और सुरक्षा मानकों का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए कठोर निरीक्षण और मूल्यांकन से गुजरना पड़ता है। कलपक्कम परमाणु ऊर्जा संयंत्र के कर्मचारी नियमित प्रशिक्षण कार्यक्रमों में भाग लेते हैं। ये प्रशिक्षण सत्र उन्हें कार्यस्थल पर उच्चतम स्तर की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सतर्क और अच्छी तरह से तैयार रहने में मदद करते हैं। कुल मिलाकर, कलपक्कम परमाणु ऊर्जा संयंत्र एक सुरक्षित वातावरण बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है।
निष्कर्ष
इसकी अत्याधुनिक तकनीक, सुरक्षा सावधानियां और भारत में ऊर्जा-उत्पादक योगदान स्वच्छ और टिकाऊ ऊर्जा क्षेत्र में विकास और सरलता के लिए एक स्मारक के रूप में काम करता है। यह नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में वैश्विक सहयोग और तकनीकी प्रगति का एक उत्कृष्ट उदाहरण है।
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ये भारत के प्रमुख परमाणु ऊर्जा संयंत्रों (List Of Nuclear Power Plant In India) के नाम हैं की सूची से अवगत करा रहे है, जो इस प्रकार है —
1. तारापुर, महाराष्ट्र :
कुल क्षमता (मेगावाट) – 1,400
2. रावतभाटा, राजस्थान :
कुल क्षमता (मेगावाट) – 1,180
3. कुडनकुलम, तमिलनाडु :
कुल क्षमता (मेगावाट) – 2,000
4. कैगा, कर्नाटक :
कुल क्षमता (मेगावाट) – 880
5. काकरापार, गुजरात :
कुल क्षमता (मेगावाट) – 440
6. कलपक्कम, तमिलनाडु :
कुल क्षमता (मेगावाट) – 440
7. नरोरा, उत्तर प्रदेश :
कुल क्षमता (मेगावाट) – 440
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