निमिषा प्रिया की सच्ची कहानी

कौन है निमिषा प्रिया?

निमिषा प्रिया केरल के एक सामान्य परिवार की लड़की है। उसके घर की आर्थिक हालत खराब थी।
2008 में उसने यमन जाने का कठिन फैसला लिया ताकि अपने बूढ़े माता-पिता का सहारा बन सके।
यमन उस समय भी सुरक्षित नहीं था, वहां गृह युद्ध जैसे हालात थे, फिर भी वो वहाँ गई।
वह एक नर्स बनकर अस्पतालों में काम करने लगी और धीरे-धीरे अपनी मेहनत से इज्जत भी कमाई।
2015 में उसने खुद का मेडिकल क्लीनिक खोला, जो उसके लिए सपने के सच होने जैसा था।

लेकिन यमन के कानून के मुताबिक कोई विदेशी वहां अकेले बिजनेस नहीं कर सकता। इसलिए उसे एक स्थानीय व्यक्ति को साझेदार बनाना पड़ा।

वो साझेदारी जो डरावना सपना बन गई

कानूनी कारणों से उसने एक यमनी नागरिक तालाल अब्दुल माही को साझेदार बनाया।
शुरुआत में सब ठीक था, लेकिन बाद में हालात बिगड़ने लगे।

निमिषा की मां और वकील बताते हैं कि माही ने उसे परेशान करना शुरू कर दिया।
• उसका पासपोर्ट जब्त कर लिया
• पैसे की मांग की
• जान से मारने की धमकियां दीं

निमिषा ने उसके खिलाफ शिकायत भी की, जिससे उसे थोड़े समय के लिए गिरफ्तार किया गया, लेकिन रिहा होते ही उसने फिर से धमकाना शुरू कर दिया

  निमिषा प्रिया की सच्ची कहानी अब एक ऐसी जगह फंस चुकी थी जहां
वो विदेशी थी
• महिला थी
• उसके पास पासपोर्ट नहीं था
• कोई रास्ता नहीं था भागने का

2017 की वो रात जिसने सब बदल दिया

2017 में हालात बेकाबू हो गए।

परिवार और वकीलों के अनुसार, निमिषा ने बस अपने पासपोर्ट को वापस पाने के लिए माही को बेहोश करने की कोशिश की।
उसने माही को नींद का इंजेक्शन दिया, ताकि वो अपने कागज और पासपोर्ट निकाल सके और यमन से भाग सके।
लेकिन इंजेक्शन की डोज़ ज्यादा हो गई और माही की मौत हो गई।

डर और घबराहट में उसने शव के टुकड़े कर दिए और पानी के टैंक में छिपाने की कोशिश की।
जल्द ही पुलिस ने उसे पकड़ लिया।

Rishi Sunak takes job at Goldman Sachs

 

 मुकदमा, सजा और मौत का फरमान

2018 में यमन की अदालत ने निमिषा को हत्या का दोषी ठहराया।
2020 में उसे मौत की सजा सुना दी गई।यमन में महिला होना, विदेशी होना और किसी स्थानीय की हत्या करना बहुत बड़ा अपराध माना जाता है।
उसके परिवार ने फैसले के खिलाफ अपील की, लेकिन नवंबर 2023 में यमन की सबसे बड़ी अदालत ने भी उसकी मौत की सजा बरकरार रखी।2025 की शुरुआत में यमन के राष्ट्रपति और नेताओं ने उसकी फांसी पर अंतिम मंजूरी दे दी।

भारत की जल नीति में बड़ा बदलाव: सिंधु जल समझौते के बाद अब गंगा जल संधि में बदलाव में भारत

 

 

 ‘दिया’ (Blood Money) – आखिरी उम्मीद

अब उसकी एकमात्र उम्मीद है यमन का इस्लामिक कानून ‘दिया’ यानी ब्लड मनी।

इस कानून के तहत
• अगर मृतक का परिवार माफ कर दे
• और ब्लड मनी यानी हर्जाना स्वीकार कर ले
तो मौत की सजा रद्द हो सकती है।
लेकिन यह पूरी तरह से माही के परिवार की मर्जी पर निर्भर है, कोई कोर्ट या सरकार इसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकती।

परिवार की आखिरी कोशिशें

निमिषा की मां प्रेमा कुमारी, जो एक घरेलू कामकाज करने वाली महिला हैं, ने
• अपना घर बेच दिया
• पहली बार विदेश जाने की हिम्मत जुटाई
• यमन जाकर माही के परिवार से माफी मांगी

‘Save Nimisha Priya International Action Council’ नामक संगठन ने

• 1 मिलियन डॉलर (करीब 8 करोड़ रुपये) की रकम इकट्ठा की
• माही के परिवार को मुफ्त इलाज का वादा किया
• भारत आने-जाने का खर्चा देने की पेशकश की
• अगर माही का भाई यूएई या सऊदी में बसना चाहे तो आर्थिक मदद की पेशकश भी की

लेकिन अब तक माही का परिवार तैयार नहीं हुआ।

 

डील क्यों अटक गई?


1. भारतीय दूतावास ने जो वकील रखा, उसने पहले ही बड़ी फीस की मांग कर दी
2. फंड इकट्ठा करने में देरी हुई
3. शायद माही का परिवार अभी भी दुख में है या और ज्यादा मुआवजा चाहता है

 

 अंतिम कोशिश और सरकार से गुहार

मानवाधिकार कार्यकर्ता सैमुअल जेरोम यमन में कोशिश कर रहे हैं।
उनका कहना है कि अगर भारत सरकार
• अपने प्रभावशाली रिश्तों का इस्तेमाल करे
• यमन के धर्मगुरुओं और बड़े नेताओं से बात करे
तो शायद माफी की उम्मीद बच सकती है।

उन्होंने कहा कि भारत के ईरान, ओमान जैसे देशों से अच्छे रिश्ते हैं, जिनका यमन पर असर है।
अब ये आखिरी रास्ता है।

भारत सरकार का अब तक का रोल

भारत सरकार इस मामले पर नजर बनाए हुए है।
• भारतीय दूतावास ने वकील रखा
• दिल्ली हाई कोर्ट से निमिषा की मां के यमन जाने की इजाजत भी मिली
• पर यमन के कानून में सरकार कुछ नहीं कर सकती, माफी सिर्फ मृतक के परिवार के हाथ में है

अब ‘Save Nimisha Priya Action Council’ ने दिल्ली हाई कोर्ट में फिर याचिका दायर की है, ताकि सरकार तुरंत कूटनीतिक प्रयास करे, क्योंकि 16 जुलाई को फांसी है और सिर्फ 5 दिन बचे हैं।

 अब क्या होगा?

निमिषा प्रिया इस समय सना सेंट्रल जेल में बंद है।
फांसी की तारीख तय हो चुकी है – 16 जुलाई 2025।
कोई कानूनी रास्ता बाकी नहीं है, सिर्फ एक ही उम्मीद है – माफी।

यह मामला सीधा नहीं है।
• हां, हत्या हुई, न्याय होना जरूरी है
• मगर उस महिला की मजबूरी क्या थी?
• उसका शोषण, अकेलापन, सिस्टम की नाकामी
• मां की दर्दभरी कोशिशें

अब देखना यह है कि माफी मिलेगी या नहीं।
फिलहाल सबकी नजरें 16 जुलाई पर टिकी हैं।

nimisha priya
is nimisha priya still alive
nimisha priya case
what happened to nimisha priya
nimisha priya husband
nimisha priya daughter
kerala nurse nimisha priya tamil
save nimisha priya
nimisha priya latest news
nimisha priya news
nimisha priya alive
nimisha priya actress
nimisha priya action council
nimisha priya al jazeera
nimisha priya and talal
nimisha priya age
nimisha priya and hanan
nimisha priya the hindu
save nimisha priya action council
about nimisha priya

यह रहे 10 हैशटैग, जो इस कहानी से जुड़े हैं:

#NimishaPriya

#SaveNimishaPriya

#JusticeForNimishaPriya

#KeralaNurse

#DeathPenalty

#YemenNews

#HumanRights

#DiplomaticEfforts

#IndianNurse

#FreeNimishaPriya

#padhosikho.in