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इस आर्टिकल में आप Haridwar Tour Guide जानेंगे कि हरिद्वार तक कैसे पहुंचेंगे यहां पर रुकने के लिए होटल या धर्मशाला कहां पर लेना चाहिए दर्शन और घूमने का सही तरीका क्या रहता है आप यहां पर कहां कहां घूम सकते हैं। इस पूरी यात्रा को कवर करने के लिए आपको कितने दिनों का प्लान करना चाहिए ,कम बजट और अधिक बजट दोनो में आप कैसे घूम सकते है।

Haridwar Tour Guide / हरिद्वार – सम्पूर्ण यात्रा जानकारी

हरिद्वार जाने की प्लानिंग अचानक बनी । सिर्फ एक दिन पहले ही । इस कारण से हम लोगों ने ट्रेन की टिकट बुक नहीं करवाई थी और अभी होली की छुट्टी का टाइम है , इस कारण से तत्काल में भी टिकट बुक करवाना बहुत कठिन था । इसलिए हम लोगों के पास कोई ऑप्शन नहीं था , या तो हम लोग बस से जाएं या फिर कैब बुक करें । हम लोगों ने बस और कैब (cab)दोनों की प्राइस में तुलना की बस में 2000/- में 2 लोग जा पा रहे थे। जिसमें घर से बस स्टैंड तक जाने का और फिर हरिद्वार उतरकर वहां से भी हर की पौड़ी या फिर और भी कहीं जाना हो तो किराया अलग से देना पड़ता । हम लोगों ने कैब बुक कर ली जिसका किराया 2945/ था।इसके अलावा दिल्ली टू हरिद्वार (हर की पौड़ी।) 4 जगहों पर टोल टैक्स लगी थी जिसे हम लोगों को ही पे करना था । वह करीब 700 से 850 के बीच है। बस की तुलना में कैब थोड़ी सी ज्यादा महंगी थी ,लेकिन रास्ते भर का आनंद और आराम कई गुना बढ़ गया था।

यहां पर मैं बताना चाहूंगी कि TRAIN के अलावा बस की कनेक्टिविटी भी बहुत अच्छी है । आसपास के राज्यों और शहरों से आपको डायरेक्ट बस यहां तक के लिए मिल जाएगी और अगर आप अपनी प्राइवेट कार से आना चाहते हैं तो यह भी एक अच्छा ऑप्शन रहता है।अगर आप हरिद्वार फ्लाइट से आना चाहते हैं तो यहां की नजदीकी एयरपोर्ट देहरादून है। हरिद्वार देहरादून जिले में जॉली ग्रांट हवाई अड्डे के निकट स्थित है। एयर इंडिया कुछ प्रमुख भारतीय शहरों से जॉली ग्रांट हवाई अड्डे के लिए सस्ती उड़ानें प्रदान करता है। हरिद्वार पहुंचने के लिए जॉली ग्रांट हवाई अड्डे से कैब ली जा सकती है।यहां फ्लाइट से उतरकर कार या टैक्सी की मदद से हरिद्वार आ सकते हैं। दोनों के बीच की दूरी मात्र 20 से 30  किलोमीटर की है।

Haridwar Tour Guide:कार के द्वारा एक यादगार और बेहतरीन यात्रा –

दिल्ली लाजपतनगर से करीब 1:45 पर हम लोगों ने यात्रा शुरू की । हरिद्वार राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से 225 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।  कार से जाने पर अगल बगल की मनोरम दृश्य ने सफर का मजा दोगुना कर दिया । हरिद्वार के पहले काफी बड़ी जगहों पर पतंजलि की अनुसंधान संस्थानें (Patanjali Research Foundation)भी हैं ।अभी शाम के 6:00 बजे हैं  हम लोग रुड़की पहुंचे हैं। यहां से करीब 30 किलोमीटर की दूरी  तय करनी है , अब शायद आरती के बाद ही वहां पहुंच पाएं ।
रास्ते में ट्रैफिक होने के कारण हम लोगों को पहुंचने में लेट हो गई। 7:00 बजे हरिद्वार पहुंचने के कारण शाम की गंगा आरती नहीं देख पाए।पूरे हरिद्वार में बहुत से होटल और धर्मशाला बने हुए हैं।हम लोगों ने सोचा की हर की पौड़ी के बिल्कुल पास ही किसी होटल को बुक करें ताकि सुबह की आरती आसानी से देख सके । हर की पौड़ी से करीब 600 मीटर की दूरी पर एक होटल है ” The Rest Inn”. वहां हम लोगों ने stay किया । इसी होटल की रेस्टोरेंट “Udupi”में साउथ इंडियन डिशेज भी मिलते हैं । 1700 एक double बेड का किराया था।सफाई की दृष्टि से होटल ठीक है और मीडियम रेंज में एक बढ़िया होटल है। 

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हरिद्वार के प्रमुख पर्यटन स्थल-

हरिद्वार में मनसा देवी मंदिर, चंडी देवी मंदिर, हर की पौड़ी, भारत माता मंदिर के आलावा और भी कई दर्शनीय स्थल हैं। हरिद्वार प्राचीन शहर है और यह हिंदुओं के लिए सबसे महत्वपूर्ण तीर्थ स्थलों में से एक है। हरिद्वार को हिंदुओं के सात सबसे पवित्र स्थानों में से एक माना जाता है।गंगा के किनारे कई पवित्र स्थल हैं जैसे वाराणसी, हरिद्वार, रिशिकेश आदि, जो हिंदू धर्म के प्रमुख तीर्थ स्थल हैं।गंगा नदी हरिद्वार में 157 किलोमीटर बहने के बाद भारत-गंगा के तल में प्रवेश करती है। इस कारन से इसका प्राचीन नाम गंगाद्वारा दिया गया , जिसका शाब्दिक अर्थ है ‘गंगा का प्रवेश द्वार’।

हर की पौड़ी –

होटल से फ्रेश होकर फिर हम लोग रात के 8:00 बजे हर की पौड़ी चले गए। ये स्टेशन से करीब 2 किलोमीटर की दूरी पर है ।
यहां पर आप ब्रह्म घाट या घंटाघर घाट पर स्नान कर सकते हैं । यहां पर स्नान करने का विशेष महत्व है ।हर की पौड़ी’ हरिद्वार का महत्वपूर्ण और मुख्य स्थान है। मुख्यतः यहीं स्नान करने के लिए लोग आते हैं। एक प्रचलित मान्यता के अनुसार धरती के इसी स्थान पर भगवान् विष्णु आये थे। धरती पर भगवान् विष्णु के पैर पड़ने के कारण इस स्थान को ‘हरि की पैड़ी’ कहा गया जो बोलचाल में ‘हर की पौड़ी’ बन गया है। इसे हरिद्वार का हृदय-स्थल माना जाता है।  माना जाता है कि अमरता के अमृत की एक बूंद हर की पौड़ी घाट पर गिरी थी, और तब से इसे एक बहुत ही पवित्र स्थान माना जाता है। हर की पौड़ी के ब्रह्मकुंड में  बड़ा कुंभ मेला भी  आयोजित होता है । हर बारह वर्षों में कुंभ मेला मनाया जाता है जब बृहस्पति ग्रह कुम्भ राशिः में प्रवेश करता है।देश ही नहीं विदेशों से भी बहुत से भक्त यहां पर स्नान करने के लिए आते हैं। सुबह और शाम में यहां पर 6:00 से 6:30 के बीच दिव्य और भव्य आरती का आयोजन भी होता है और इसमें शामिल होने के लिए बड़ी संख्या में लोग आते हैं । वहां करीब 3 घंटे तक हम लोगों ने समय बिताया । आरती ना देखने के बावजूद भी वहां का दृश्य इतना ही सुहावना था कि उसे शब्दों में नहीं बताया जा सकता है। वहां की बहती गंगा की धार में घंटों पैर डालकर बैठे रहना एक बहुत ही सुखद अनुभव है। सबसे पहली बात है कि वहां हर वक्त काफी चहल-पहल रहती है,इंतजाम बहुत अच्छे हैं । साफ सफाई भी अच्छी है ।

ऊपर दिए हुए वीडियो में आप गंगा की प्रवाह का एक सुखद अहसास या अनुभव प्राप्त कर सकते हैं। वहां पर पैर डालकर आप बैठे रहे तो एक अलग ही आनंद की प्राप्ति होती है । Haridwar Tour Guide बिल्कुल स्वच्छ और निर्मल गंगा अभी तक है। इसके अलावा हर की पौड़ी में और भी बहुत सारी मंदिर हैं और वहां पर अस्थि प्रवाह की एक अलग से जगह बनी हुई है।

करीब रात के 11:00 बजे वापस लौटने के बाद हम लोग सो गए ताकि जल्दी उठकर सुबह 5:30 बजे मां गंगा के पावन जल में स्नान करने हर की पौड़ी के लिए निकल सकें ।आरती को आगे से देखने के लिए काफी पहले से ही बड़ी संख्या में भीड़ आने लगती है। अगर आप आगे से आरती देखना चाहते हैं तो पहले से आकर वहां पर अपनी जगह बनाए , नहीं तो बड़ी सी स्क्रीन लगी होती है उस पर भी आप आरती को देख सकते हैं। आरती का बहुत ही अद्भुत नजारा था ।

आरती के बाद हम लोगों ने वहां पर स्नान किया।स्नान करते वक्त अपने कपड़ों को रखने के लिए वहां पर से ₹10 की एक बड़ी सी पॉलिथीन की सीट भी मिलती है जिसे हम लोगों ने खरीद कर बिछा लिया और उस पर सारे सूखे कपड़े रख दिए । वहां पर थोड़ी देर बैठ गई। नहाने के बाद कपड़े बदलने के लिए घाट के किनारे ही बहुत सारे छोटे छोटे रूम है, जहां पर आप बड़े ही आराम से कपड़े बदल सकते हैं । नहाने के बाद गीले कपड़े रखने के लिए ₹10 की पॉलिथीन की बैग भी खरीदी उसमें सारे गीले कपड़े रख दिए। गंगा जल के डब्बे , फूल और दिया बाती ये सब सामग्री वही पर बिकती हैं। स्नान करने के बाद यह सब सामग्री खरीद ली और गंगाजल के डब्बे में पानी भरकर उसे अपने पास रख ली , ताकि घर अपने साथ ला सकूं ।

वहां पर गंगा मां की मंदिर है और भी दो-तीन मंदिर है जिसमें जाकर हम लोगों ने पूजा किया और फूल चढ़ाए । वहां पर बहुत सारे फोटोग्राफर्स कैमरा लेकर भी घूमते हैं । हम लोगों ने दो-तीन फोटो उनसे भी खिंचवाई और खुद के भी मोबाइल से बहुत सारे पिक्चर्स लिए।

 

Haridwar Tour Guide / हरिद्वार यात्रा की संपूर्ण जानकारी हिंदी में
गंगा नदी के बीच में ही गंगा मां की काफी बड़ी सी मूर्ति बनी हुई है जो बैठी हुई मुद्रा में हैं और अपनी सवारी मगरमच्छ के ऊपर आसीन हैं ।
Haridwar Tour Guide / हरिद्वार यात्रा की संपूर्ण जानकारी हिंदी में
हर की पौड़ी के बिलकुल ही नज़दीक स्वामी विवेकानंद पार्क है , यहाँ पर आप गंगा तट स्थित इस 100 फुट ऊँची भगवान शिव की मूर्ति के दर्शन भी कर सकते हैं।

अब हम लोग उन जगहों की बात करेंगे जहां पर ई रिक्शा 300/ से 400/- लेते हैं और छोटे-छोटे जगहों को दिन भर में 4 से 5 घंटे में घुमा देते हैं ।

 शांति कुंज आश्रम

हरिद्वार से ऋषिकेश जाने के मार्ग में विशाल परिक्षेत्र में यह प्यारा सा आश्रम गायत्री माता को समर्पित है । सुप्रसिद्ध मनीषी श्रीराम शर्मा आचार्य द्वारा स्थापित गायत्री परिवार का मुख्य केन्द्र है । यहां पर आप निःशुल्क लंगर में शामिल हो सकते हैं,साथ ही साथ अगर आप यहां पर रुकना चाहते हैं तो आप फ्री ऑफ कॉस्ट में यहां पर रुक भी सकते हैं।

 माता वैष्णो देवी मंदिर

 यहां पर गुफा के स्वरूप में माता रानी का बहुत ही प्यारा सा मंदिर बना हुआ है।हर की पैड़ी से लगभग 1 किलोमीटर की दूरी पर भीमगोड़ा जाकर वहाँ से ऑटो रिक्शा से वैष्णो देवी मंदिर तक जाया जा सकता है। वैष्णो देवी का यह मंदिर बहुत ही भव्य है। जम्मू की प्रसिद्ध वैष्णो देवी की गुफा की की गई है। इस भव्य मंदिर में प्रवेश बाईं ओर से होता है। मार्ग को आसान बनाए रखने के लिए प्रयास किया गया है, लेकिन अकेले नहीं जाना चाहिए। तीन या चार आदमी साथ जाएं। गुफा का मार्ग घुमावदार है, लेकिन पहुंचना कोई कठिनाई नहीं है। यहाँ पहुंचकर तीन पिंडियों के दर्शन होते हैं। यह मंदिर भी काफी प्रसिद्ध है।

भारत माता मंदिर

वैष्णो देवी मंदिर के थोड़े आगे भारतमाता मंदिर है। यह मंदिर बहुमंजिला है और स्वामी सत्यमित्रानंद गिरि ने इसे बनाया था। इंदिरा गाँधी ने इसका लोकार्पण किया था। यह सात मंजिला मंदिर हरिद्वार के प्रमुख मंदिरों में माना जाता है । यहां पर लिफ्ट के माध्यम से आप सबसे पहले सातवें मंजिल पर आ जाएंगे फिर हर तल में दर्शन करने के बाद में बारी-बारी से आप नीचे आ आयेंगे। सबसे नीचे भारत माता की विशाल प्रतिमा स्थापित है आप यहां पर दर्शन जरूर करें , पास में ही श्रीराम मंदिर भी बना हुआ है आप यहां पर भी जाकर दर्शन कर सकते हैं।इस मंदिर की विशेषता है कि इसके विभिन्न मंजिलों पर भारत की बहुआयामी छवियों को दर्शाने के लिए विभिन्न मंदिर बनाए गए हैं। इसके ऊपर विष्णु मंदिर और सबसे ऊपर शिव मंदिर है। हरिद्वार आने वाले यात्री इसे देखकर अनोखी भारतीय विरासत का आनंद लेते हैं और देशभक्ति की प्रेरणा महसूस करते हैं।

 

माता मंसा देवी

माता रानी का यह प्यारा सा मंदिर हड़की पौड़ी से मात्र 200 मीटर की दूरी पर स्थित है जहाँ से पैदल मार्ग बना हुआ है ,आप सीढ़ियां चढ़ सकते हैं। यह पश्चिम में शिवालिक पर्वत के शिखर पर स्थित है।पैदल मार्ग से कुछ ही दूरी पर रोप वे भी बना हुआ है। रोप वे के टिकट की दर बहुत अधिक नहीं है । मनसा देवी की मंदिर अगर आप सीढ़ियों से चढ़कर जाते हैं तो दो से ढाई घंटे लगेंगे जाने और आने में।यहाँ से हर की पैड़ी, गंगा की धारा, नील पर्वत के पास गंगा की मुख्य धारा, और हरिद्वार का दर्शन करने का अवसर मिलता है। प्रातःकाल यहाँ पैदल यात्रा करने और गंगा में स्नान करने के बाद लौटने पर अद्वितीय अनुभव मिलता है।

माता चण्डी देवी

यह मंदिर  गंगा नदी के पूर्वी किनारे पर शिवालिक श्रेणी के ‘नील पर्वत’ के शिखर पर स्थित है। इसे1929में कश्मीर के राजा सुचत सिंह द्वारा बनवाया गया था। एक प्राचीन कथा के अनुसार, देवी चण्डी ने यहीं राक्षस राजा चण्ड-मुण्ड को मारा था और इसके बाद इस स्थान का नाम चण्डी गाँव पड़ गया। मुख्य प्रतिमा की स्थापना आदि शंकराचार्य ने की थी।रोपवे ट्रॉली सुविधा भी है, लेकिन कुछ यात्री चल कर भी जाते हैं। यहाँ चढ़ने-उतरने के दोनों रास्तों में अनेक प्रसिद्ध मंदिर हैं। यहाँ संतोषी माता, हनुमान जी की माता अंजना देवी, और हनुमान जी के मंदिर भी हैं। यहाँ की प्राकृतिक सौंदर्य भी बहुत खूबसूरत है, और मोरों को टहलते हुए आसानी से देखा जा सकता है।

Shopping in Haridwar: मनपसंद खरीदारी कर सकते हैं –

हरिद्वार में हर साल बड़ी संख्या में तीर्थयात्री और पर्यटक आते हैं। इसलिए, हरिद्वार में काफी संख्या में दुकानें हैं जो पत्थर की मूर्तियाँ , पीतल के बर्तन, आभूषण, ऊनी वस्त्र, और अन्य आकर्षक वस्तुएँ बेचती हैं।

हरिद्वार और ऋषिकेश दोनों प्लेसेस की बात करें तो आपको कम से कम थ्री नाइट और टू डेज का प्लान बनाना चाहिए अगर आप और भी घूमना चाहते हैं तो फोर नाइट और थ्री डेज का भी प्लान बना सकते हैं।

चलिए अब बात करते हैं हरिद्वार आने का सबसे अच्छा समय कौन सा रहता है । ऐसे तो पूरे साल ही हरिद्वार और ऋषिकेश में भीड़भाड़ रहती है लेकिन बहुत अधिक गर्मियों में आप घूमने का बहुत आनद  नहीं ले पाएंगे ।

अगर आप कम बजट में घूमना चाहते हैं तो और आप थ्री नाइट और टू डेज का प्लान बनाते हैं तो 4000 से 5000 पर पर्सन के बजट में बहुत ही अच्छे तरीके से इन दोनों जगहों को कवर कर लेंगे । अगर आपके बजट की कोई भी प्रॉब्लम नहीं है तो आप यहां पर बहुत ही बड़े बजट की होटल्स ले सकते हैं साथ ही साथ आप टैक्सी बुक करके भी इन सभी प्लेसेस को कवर कर सकते हैं।

अगर आपके यात्रा से रिलेटेड कोई भी क्वेश्चन रहते हैं तो आप हमें कमेंट के माध्यम से पूछ सकते हैं ।

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