गणेश जी की कहानी / Ganesh ji ki kahani bacchon ke liye

गणेश जी की कहानी

गणेश जी विघ्नहर्ता हैं।

गणेश जी की कहानी , गणेश जी की कृपा हमें पूर्णता की ओर ले जाती है।उन्हें विघ्नहर्ता के रूप में जाना जाता है। उनकी कृपा से हम संयम, साहस, और सफलता की ओर बढ़ते हैं।

उनके आशीर्वाद से जीवन में खुशियों और समृद्धि का आगमन होता है।आज की कहानी इसी से सम्बंधित है।


जब हम उन्हें भक्ति और समर्पण के साथ पूजते हैं, तो हमें आत्मविश्वास, और आदर्शों की विशालता मिलती है। वो हमारी समस्याओं और अवरोधों को हर लेते हैं।

गणेश जी की कहानी / Ganesh ji ki kahani bacchon ke liye

गणेश जी की कहानी / Ganesh Ji Ki Kahani:

एक दिन पास के गांव में गणेश जी का मेला लगा। सभी बच्चों को मेले में जाते देख एक बच्ची भी अपनी माँ से वहां जाने की जिद करने लगी। अपनी बच्ची का मन रखने के लिए माँ ने उसे जाने की अनुमति दे दी।
जाते वक्त 2 लड्डू और एक बोतल पानी बच्ची की माँ ने उसे यह कह कर दिया की एक लड्डू गणेश जी को खिला देना और एक तुम खा लेना। थोड़ा पानी गणेश जी को पिला देना और थोड़ा तुम पी लेना।

मेले में जाकर वो बच्ची मेला देखने लगी। जब शाम होने को आयी तब और सभी लोग घर जाने लगे तब उसे माँ की बात याद आयी की गणेश जी को भी लड्डू खिलाकर पानी भी पिलाना है। तब वो गणेश जी के पास गयी और उनकी मूर्ति के पास लड्डू और पानी रखते हुए बोली की गणेश जी आप एक लड्डू खाकर पानी पी लीजिये तब मैं घर जाऊंगी। लेकिन काफी इंतज़ार के बाद भी गणेश जी नहीं आये।

बच्ची उनका इन्तजार करती रही। बहुत देर हो गयी लेकिन गणेश भगवान नहीं आये तो वह लड़की भी वही बैठी रही। जब गणेश जी ने देखा की काफी देर हो गयी है और ये बच्ची अभी तक यही बैठी हुई है। तब उन्हें दया आ गयी और वो एक लड़के का रूप धार कर उसके पास गए और लड्डू खाकर पानी पी लिया।
फिर उस बच्ची से कुछ वर मांगने को कहा।

वो बच्ची असमंजस में पड़ गयी की वर में क्या मांगू। इनसे घर मांगू ,या कपडे मांगू या धन मांगू। गणेश जी को उसके मन की इच्छा का पता चल गया , और उन्होंने उससे कहा की तुम घर जाओ। तुम्हारी मनचाही सारी वस्तुएं तुम्हे मिल जाएगी ।
बच्ची अपने घर जाकर माँ को सारी बात बताई। सचमुच उसे एक बहुत बड़ा घर , धन दौलत और कपडा मिल गया। उन्होंने गणेश भगवान् की पूजा की और उन्हें भोग लगाया।

इस तरह से गणेश भगवान् अपने भक्तों की बहुत सुनते हैं और उनकी इच्छाओं को जरूर पूरी करते हैं।                                                      

                    श्री गणेशाय नमः।

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FAQ

Most frequent questions and answers

मोरया गोसावी को गणपति का सबसे प्रसिद्ध भक्त माना जाता है। 13वीं से 17वीं शताब्दी के बीच की अनेक किंवदंतियाँ उनके जीवन का स्मरण करती हैं।

गणेश पुराण में उनका पूर्ण विवरण दिया गया है। इस पुराण के तिसरे खंड में गणेश जी की माँ पार्वती का विवरण है। पार्वती के जन्म और विवाह को वर्णित किया गया है। 

गणेश जी अपने माता पिता के बहुत भक्त हैं। जब गणेश जी को ये पता चला की उनके ऊपर परशुराम के द्वारा फेंका गया फरशा उनके पिता शिव जी ने उन्हें दी है तो अपने पिता की सम्मान में में गणेश जी ने फ़र्शे का वार खली नहीं जाने दिया , और अपनी एक दांत गँवा दी। 

मस्तक या सर काटने के पहले उन्हें विनायक नाम से सम्बोधित किया जाता था। 

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