राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020/(NEP)New Education Policy in Hindi

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राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020  ISRO अंतरिक्ष वैज्ञानिक के. कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता वाली समिति की रिपोर्ट पर आधारित है। जो भारत सरकार द्वारा 29 July  2020 को पेश की गई है। 1986  में जारी हुई शिक्षा नीति के बाद भारत की शिक्षा नीति में यह पहला नया परिवर्तन है। ये नीति भारत के शैक्षणिक ढांचे को एक सुदृढ़ दिशा की ओर ले जाने का उद्देश्य रखती है। इस नीति का मुख्य ध्येय है शिक्षा को सुलभ, स्वास्थ्यपूर्ण और गुणवत्तापूर्ण बनाना।

राष्ट्रीय  शिक्षा नीति 2020,शिक्षा के स्तरों को समान बनाने के लिए प्राथमिक शिक्षा, माध्यमिक शिक्षा और उच्च शिक्षा का अनुभव लाने का प्रस्ताव करती है। इसके अलावा ये नीति नये विषयों, जैसे कि तकनीकी शिक्षाt(Technical education),व्यवसायिक शिक्षा (Vocational Education), कृषि शिक्षा(Agricultural education ), सामाजिक विज्ञान (Social science0आदि को शामिल करने का प्रस्ताव भी करती है।राष्ट्रीय  शिक्षा नीति 2020 शिक्षा के कुछ महत्वपूर्ण मानदंडों पर जोर देती है, जैसे कि बच्चों की स्कूल में भाषा का चयन, स्कूलों में गुणवत्ता की निगरानी आदि।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020,

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के मुख्य बिंदु क्या है?

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 कि हर पॉइंट को पहले मैं अलग से समझाना चाहूंगी ताकि पाठक इसे अच्छी तरह समझ सके कि नई शिक्षा नीति में किन-किन बातों का उल्लेख किया गया है। 

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के आधार पर कुछ मुख्य बातें निम्नलिखित हैं :

*सबसे पहले जून 2017 में एक समिति का गठन किया गया था। इस समिति ने अपनी रिपोर्ट 31st मई 2019 को सौंपी ,और इसी के आधार पर शिक्षा नीति बनी।

*स्वतंत्र भारत के बाद बाद पहली शिक्षा नीति 1968 में बनी, फिर दूसरी शिक्षा नीति 1986 में लायी गयी।तीसरी शिक्षा नीति 2020 में बनी।

*इस नीति के अन्तरगत् वर्ष 2030 तक सकल नामांकन अनुपात (Gross Enrolment Ratio-GER) को 100% लाने का लक्ष्य रखा गया है।

*ऐसे काफी बच्चे हैं जिनलोगों की बीच में ही पढाई बंद हो गयी है। ऐसे बच्चों को (जिनकी संख्या लगभग 2 करोड़ है)वापस school लाने की भरपूर कोशिश की जाएगी। 

*राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अंतर्गत व्यवसायिक शिक्षा और प्रशिक्षण का भी मुख्य ध्यान रखा जाएगा ,ताकि बच्चे सही तरह से निखर कर आगे बढ़ सकें ।

*राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अन्तर्गत इस क्षेत्र पर सकल घरेलू उत्पाद (GDP)के 6% हिस्से के सार्वजनिक व्यय का लक्ष्य रखा गया है ।अभी तक का 3% से भी कम व्यय किया जाता था शिक्षा की क्षेत्र में। 2020 की नीति में दोगुना का अंतर है। 

* ‘मानव संसाधन प्रबंधन मंत्रालय’ (HRD Ministry)का नाम परिवर्तित कर ‘शिक्षा मंत्रालय’ (Education Ministry ) कर दिया गया है।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में 5 प्लस 3 प्लस 3 प्लस 4 का मतलब क्या है?

📘 नई शिक्षा नीति 2020: 5+3+3+4 शिक्षा प्रणाली का फॉर्मूला क्या है?

नई शिक्षा नीति (NEP) 2020 ने भारत की पारंपरिक 10+2 प्रणाली को बदलकर एक नया 5+3+3+4 मॉडल पेश किया है। इस मॉडल का उद्देश्य बच्चों की समझ, सोचने की क्षमता और कौशल (skills) को शुरू से ही मजबूत करना है, ताकि वे सिर्फ नौकरी के लिए नहीं, बल्कि आत्मनिर्भर बनने के लिए तैयार हो सकें।

आइए इस नए मॉडल को चरण दर चरण विस्तार से समझते हैं —

🧒🏻1-  Foundational Stage (5 वर्ष) — उम्र 3 से 8 साल तक

कक्षा: Pre-school + कक्षा 1 और 2

इस स्टेज में बच्चों की बुनियादी नींव (foundation) तैयार की जाती है। इसमें दो हिस्से होते हैं:

🎈 a. Pre-school (3 से 6 साल)

  • बच्चे आंगनबाड़ी या प्ले-स्कूल में जाएंगे।
  • फोकस खेल, रंग, कहानी, समूह में उठना-बैठना और बोलचाल पर रहेगा।
  • इस स्टेज में किताबों और परीक्षा का कोई दबाव नहीं होगा ।

     

✏️ b. कक्षा 1 और 2 (6 से 8 साल)

  • बच्चे पहली बार स्कूल की पढ़ाई से जुड़ेंगे।
  • पढ़ाई का तरीका playful रहेगा। अभी भी exam pressure नहीं रहेगा।
  • ध्यान रहेगा भाषा, गणित और व्यवहारिक जीवन के मूल ज्ञान पर।

📘 2. Preparatory Stage (3 वर्ष) — उम्र 8 से 11 साल तक

कक्षा: 3, 4 और 5

  • अब बच्चे किताबों और कॉपी से पढ़ाई शुरू करेंगे।
  • उन्हें regular subjects जैसे भाषा, गणित, पर्यावरण आदि सिखाया जाएगा।
  • अब परीक्षाएं भी होंगी, लेकिन ये अधिकतर गतिविधियों और observation आधारित होंगी।
  • पढ़ाई को रोचक बनाने के लिए activity-based learning पर जोर रहेगा।

🛠️ 3. Middle Stage (3 वर्ष) — उम्र 11 से 14 साल तक

कक्षा: 6, 7 और 8

  • अब शिक्षा थोड़ी गहराई वाली होगी। छात्र विभिन्न विषयों में concept-based पढ़ाई करेंगे।
  • सबसे खास बात: कक्षा 6 से Vocational Subjects की शुरुआत होगी।
    • छात्र अपनी रुचि के अनुसार कोई भी कौशल सीख सकते हैं जैसे सिलाई, बुनाई, चित्रकला, बढ़ईगीरी आदि।
    • इसके लिए इंटर्नशिप भी कराई जाएगी ताकि बच्चों में बचपन से ही हुनर और आत्मनिर्भरता का विकास हो।
  •  

🎓 4. Secondary Stage (4 वर्ष) — उम्र 14 से 18 साल तक

कक्षा: 9, 10, 11 और 12

  • इस स्टेज में छात्र अपने रुचि के अनुसार किसी भी विषय का कॉम्बिनेशन चुन सकते हैं।
    • अब Science, Arts, और Commerce जैसी सीमाएं नहीं रहेंगी।
    • उदाहरण: छात्र अगर Mathematics और History साथ पढ़ना चाहें, तो अब ऐसा संभव होगा।
    • Economics + Chemistry या Music + Physics जैसे combinations भी चलेंगे।
  • Foreign Language (जैसे Spanish, French, German आदि) एक आवश्यक विषय के रूप में पढ़ाई जाएगी, ताकि वैश्विक स्तर पर भी छात्र तैयार हो सकें।
  • इस स्टेज में Academic knowledge + Practical Skills का संतुलन बनाया जाएगा ताकि छात्र higher education या career के लिए बेहतर विकल्प चुन सकें।

🎯 इस नीति का मुख्य उद्देश्य क्या है?

  • बच्चे की पढ़ाई खुशी और रुचि से शुरू हो, न कि बोझ से।
  • Conceptual understanding पर जोर हो, सिर्फ रटने पर नहीं।
  • Skill-based learning से बच्चे रोजगार के लिए तैयार रहें।
  • Multilingualism (अनेक भाषाओं में दक्षता) को बढ़ावा मिले।

नए फॉर्मूले का सार (5+3+3+4 मॉडल):

स्टेज कक्षा उम्र मुख्य फोकस

Foundational Pre-school + 1-2 3-8 वर्ष खेल, नैतिकता, मौलिक समझ
Preparatory 3-5 8-11 वर्ष किताबें, शुरुआत परीक्षाओं की
Middle 6-8 11-14 वर्ष Vocational subjects, स्किल डेवलपमेंट
Secondary 9-12 14-18 वर्ष स्वतंत्र विषय चयन, गहराई में अध्ययन

 

अगर आप इस नई शिक्षा नीति को ध्यान से देखें तो पाएंगे कि यह सिर्फ किताबों से पढ़ने की परंपरा से आगे जाकर , जीवन के लिए पढ़ाई ( एजुकेशन फॉर लाइफ ) की सोच को अपनाती है ।इसमें छात्रों को विभिन्न विषयों में विशेषज्ञता प्राप्त करने का अवसर मिलेगा,यानि वो कोई भी सब्जेक्ट पढ़ सकते है। अगर कोई Economics के साथ chemistry पढ़ना चाहे तो पढ़ सकता है। अगर maths के साथ history पढ़ना चाहे तो पढ़ सकता है। इसके साथ ही एक Foreign language भी compulsary कर दिया है ताकि कोई बच्चे उस दिशा में भी अपनी carrier बना सकें

* पाँचवीं कक्षा तक की शिक्षा में मातृभाषा/स्थानीय या क्षेत्रीय भाषा को शिक्षा के माध्यम के रूप में अपनाने पर बल दिया गया है। ताकि बच्चे पढ़ाई को अच्छी तरह समझ सकें ।
साथ ही मातृभाषा को कक्षा-8 और आगे की शिक्षा के लिये प्राथमिकता देने का सुझाव दिया गया है।

* देश भर के उच्च शिक्षा संस्थानों के लिये “भारतीय उच्च शिक्षा परिषद” नामक एक एकल नियामक की परिकल्पना की गई है।

*अब बच्चों को सिर्फ किताबी ज्ञान के अलावा सामाजिक ,मानसिक ,आर्थिक एवम् नैतिक विकास पर भी ध्यान दिया जाएगा ।

*अभी तक प्राइवेट स्कुल वाले फीस की नाम पर मनमानी रकम वसूलते हैं। इस में इन स्कूलों पर भी शिकंजा कसा जायेगा। उनकी फीस की एक अधिकतम सीमा निर्धारित की जाएगी। 

*राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की मुझे ये बहुत ही खास लगी की अब वर्ल्ड की टॉप 50 यूनिवर्सिटी में कोई भी चाहे तो अपनी ब्रांच यहाँ खोल सकती है।
इस नीति से शिक्षण संस्थानों के बीच प्रतिस्पर्धा बढ़ने के कारण शिक्षा प्रणाली और उत्तम हो जाएगी।

*रिजल्ट के ऊपर भी काफी बदलाव किया गया। अब रिजल्ट नंबर की आलावा अन्य बातों पर भी निर्भर करेगा। जैसे – स्टूडेंट को स्वयं भी आंकलन करना होगा , क्लास में उनके साथियों द्वारा भी उन्हें नंबर दिया जायेगा और टीचर के द्वारा भी उन्हें मार्क्स दिया जायेगा। 1 – स्टूडेंट को स्वयं भी आंकलन करना होगा की वे अपने आपको कितना नंबर देते हैं। स्टूडेंट से भी ये पुछा जायेगा की वे अपनी टाइम टेबल कितना अनुसरण करते हैं,उनके अंदर किना कॉन्फिडेंस है वगैरह वगैरह।2 – क्लास में उनके साथियों द्वारा भी उन्हें नंबर दिया जायेगा। ऐसा करने से हर बच्चों के मैं में ये बातें पनपेंगी की हर बच्चों के साथ आपस में अच्छी बर्ताव रखें ताकि उनसे अच्छी मार्क्स उन्हें मिल सके।
3 – टीचर भी नंबर देंगे की ये स्टूडेंट अच्छा था या नहीं।

Read in details for New Education Policy 2020

नई शिक्षा नीति में क्षेत्रीय भाषा ( regional language)और अंग्रेज़ी (English)का समन्वय: अपनी तरफ़ से एक व्यावहारिक सुझाव

नई शिक्षा नीति (NEP) को यदि और अधिक प्रभावशाली और उपयोगी बनाना है, तो पाठ्यक्रमों में कुछ अतिरिक्त बातों को शामिल करना अत्यंत लाभकारी सिद्ध हो सकता है। विशेष रूप से, स्कूलों और कॉलेजों में क्षेत्रीय भाषाओं (local languages) के साथ-साथ अंग्रेज़ी भाषा (English) का समन्वय आज के समय की एक आवश्यक मांग है।

हिंग्लिश मॉडल (Hinglish Model): एक व्यवहारिक उदाहरण

आजकल बहुत सी चीजें हिंग्लिश में लिखी जाती हैं – जिसमें वाक्य संरचना हिंदी में होती है लेकिन मुख्य शब्द अंग्रेज़ी में प्रयुक्त होते हैं। इससे छात्रों को दो फायदे होते हैं:

1. वे अपनी मातृभाषा में पढ़कर विषयवस्तु को आसानी से समझ पाते हैं।

2. साथ ही अंग्रेज़ी की टर्मिनोलॉजी से भी धीरे-धीरे परिचित हो जाते हैं।

इसी तरह का मॉडल हम बांग्ला, तमिल, तेलुगु, मराठी, गुजराती जैसी अन्य भाषाओं के लिए भी अपना सकते हैं। यानी, किताबों में मुख्य विषयवस्तु स्थानीय भाषा में हो और मुख्य शब्द अंग्रेज़ी में (ब्रैकेट में) जोड़े जाएं।

इस मॉडल के लाभ

छात्रों की कॉन्सेप्ट क्लैरिटी बेहतर होगी क्योंकि वे अपनी भाषा में पढ़ेंगे और अंग्रेज़ी के शब्दों से भी परिचित होंगे।

इससे इंग्लिश भाषा का डर कम होगा और छात्र भविष्य में इंग्लिश की किताबें, लेख या रिसर्च पेपर पढ़ने में सक्षम होंगे।

विद्यार्थियों में सीखने की रुचि बढ़ेगी , क्योंकि उन्हें न तो केवल अंग्रेज़ी से जूझना होगा और न ही पूरी तरह अपनी भाषा तक सीमित रहना पड़ेगा।

अंतरराष्ट्रीय स्तर की शिक्षा सामग्री से जुड़ने की उनकी क्षमता विकसित होगी।

केवल क्षेत्रीय भाषा में पढ़ाने की सीमा

यदि पूरा पाठ्यक्रम केवल क्षेत्रीय भाषा में पढ़ाया जाता है और अंग्रेज़ी के शब्दों का कोई संपर्क नहीं रखा जाता, तो आगे चलकर छात्र उच्च शिक्षा, प्रतियोगी परीक्षाओं, और अंतरराष्ट्रीय अवसरों में पिछड़ सकते हैं क्योंकि अधिकतर अध्ययन सामग्री अंग्रेज़ी में ही उपलब्ध है।

प्रस्तावित समाधान

हर विषय की पुस्तकों और नोट्स में मुख्य शब्द अंग्रेज़ी में ब्रैकेट के साथ जोड़े जाएं।
(उदाहरण: ऊर्जा (Energy), गुरुत्वाकर्षण (Gravity), लोकतंत्र (Democracy))

स्कूलों में बाइलिंगुअल शिक्षा को बढ़ावा दिया जाए – यानी दो भाषाओं में एक साथ शिक्षा दी जाए।

शिक्षक प्रशिक्षण भी इसी तर्ज़ पर किया जाए ताकि वे सहज रूप से दोनों भाषाओं का समन्वय कर सकें।

इस तरह की शिक्षा नीति से न सिर्फ भाषा के प्रति छात्रों का डर कम होगा, बल्कि वे एक बहुभाषी, आत्मनिर्भर और वैश्विक सोच रखने वाले नागरिक बन पाएंगे

अगर आप चाहें तो इस पर एक विस्तृत लेख, प्रस्ताव-पत्र या ब्लॉग पोस्ट भी तैयार किया जा सकता है।

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FAQ

Most frequent questions and answers

भारत सरकार द्वारा 29 July  2020 को पेश की गई है।

भारत के पहले शिक्षा मंत्री, एक कवि, लेखक, पत्रकार और भारतीय स्वतंत्रता सेनानी मौलाना अबुल कलाम आजाद हैं ,

धर्मेंद्र प्रधान जी भारत के 33 वें शिक्षा मंत्री हैं।

  ISRO अंतरिक्ष वैज्ञानिक के. कस्तूरीरंगन नयी शिक्षा निति 2020 के अध्यक्ष है।